तेनालीरामा के स्वर्ग के सपने

तेनालीरामा के स्वर्ग के सपने

Tenalirama’s dreams of heaven


Tenalirama’s dreams of heaven : तेनालीरामा के स्वर्ग के सपने एक बार विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय को एक अनोखा सपना आया। उन्होंने देखा कि वे स्वर्ग में विचरण कर रहे हैं जहाँ सोने चाँदी के महल अमृत से भरे सरोवर और देवता उनके स्वागत के लिए खड़े हैं उन्होंने जब अपने दरबार में यह सपना सुनाया तो सभी मंत्री स्वर्ग की महिमा की प्रशंसा करने लगे।
राजा ने तेनालीरामा से पूछा, “क्या तुमने कभी स्वर्ग का सपना देखा है?”
तेनालीरामा मुस्कुराए और बोले, “जी हाँ महाराज! लेकिन मेरा सपना कुछ अलग था।”
राजा उत्सुक हो गए, “बताओ तेनाली, तुम्हारे सपने में स्वर्ग कैसा था?”
तेनालीरामा बोले, “महाराज, मैंने स्वप्न में देखा कि स्वर्ग में भी दरबार है, और वहाँ भी राजा होते हैं। लेकिन सबसे अनोखी बात यह थी कि वहाँ के राजा भी हमारे जैसे ही सपने देखते हैं!”
राजा ने आश्चर्य से पूछा, “क्या? स्वर्ग के राजा भी सपने देखते हैं?”
तेनालीरामा ने हँसते हुए कहा, “हाँ महाराज! मैंने सुना कि वे पृथ्वी के सपने देखते हैं—हरियाली से भरी धरती, नदी में बहता मीठा जल, स्वादिष्ट भोजन, और सबसे बड़ी बात—जीवन के छोटे-छोटे सुख, जो वहाँ दुर्लभ हैं!”
राजा कृष्णदेवराय तेनाली की चतुराई समझ गए और बोले, “यानि हर कोई वहीं जाने का सपना देखता है, जहाँ वह नहीं है?”
तेनालीरामा ने सिर झुकाकर कहा, “बिल्कुल महाराज! इसलिए हमें अपने जीवन को ही स्वर्ग बनाने की कोशिश करनी चाहिए, न कि किसी अन्य स्वर्ग की कल्पना में खो जाना चाहिए।”
राजा को तेनालीरामा की बात बहुत पसंद आई और उन्होंने उसे इनाम दिया। दरबारियों ने भी तेनाली की बुद्धिमानी की सराहना की।
शिक्षा:
हमें अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए, न कि किसी काल्पनिक सुख की चाह में अपने वर्तमान को भूल जाना चाहिए।

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