डरपोक शेर की कहानी
The Story of the Cowardly Lion
डरपोक शेर की कहानी : बहुत समय पहले जंगल में एक शेर रहता था जिसका नाम था सिंघु। लेकिन बाकी शेरों की तरह वह बहादुर नहीं था वह बहुत ही डरपोक था। जब भी कोई छोटी सी आवाज़ होती, वह कांपने लगता। खरगोश का कूदना, पत्तों का खड़खड़ाना, या बंदरों की आवाज़ें सब कुछ उसे डराने के लिए काफी था। बाकी जानवर उसका मज़ाक उड़ाते थे। “शेर होकर डरता है? हाहा!” लोमड़ी हँसती।
“अगर तू राजा है, तो हम सब रक्षक हैं!” बन्दर चिल्लाते। सिंघु बहुत दुखी रहता, पर कुछ कर नहीं पाता। वह खुद से शर्मिंदा था।
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एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने एक पिंजरा बिछाया और एक नन्हा हिरण उसमें फँस गया। सारे जानवर डर गए और छुप गए। लेकिन हिरण की करुण पुकार से सिंघु का दिल पिघल गया।
वह काँपते हुए उस पिंजरे की तरफ गया। शिकारी दूर बैठा था, लेकिन सिंघु की दहाड़ सुनकर वह चौक गया। डरपोक सिंघु ने पहली बार दिल से दहाड़ लगाई — इतनी ज़ोर की कि शिकारी डरकर भाग गया!
सभी जानवर भागकर बाहर आए। हिरण आज़ाद था, और सबने सिंघु को घेर लिया।
“वाह, सिंघु!”
“तू तो सच्चा राजा निकला!”
“हम सबको माफ कर दो!”
सिंघु मुस्कुराया और बोला,
“मैं डरता था, लेकिन अब समझ आया — हिम्मत डर से बड़ी होती है।”
सीख: डरपोक होना ग़लत नहीं है, लेकिन अपने डर से लड़ना ही असली बहादुरी है।
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