तेनालीरामा और उसका दुश्मन

तेनालीरामा और उसका दुश्मन

Tenalirama And His Enemy


तेनालीरामा और उसका दुश्मन : तेनालीराम अपनी चतुराई और हाज़िरजवाबी के लिए प्रसिद्ध थे। लेकिन उनकी चतुराई से जलने वाले कई दरबारी और शत्रु भी थे। ऐसा ही एक किस्सा है जब तेनालीराम के एक दुश्मन ने उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की लेकिन अंत में खुद ही मुसीबत में फंस गया  राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक मंत्री था जो तेनालीराम से ईर्ष्या करता था। वह हर समय तेनालीराम को परेशान करने के तरीके खोजता रहता था। एक दिन उसने राजा के कान भरते हुए कहा, “महाराज, तेनालीराम भले ही चतुर हैं, लेकिन उनकी बुद्धिमानी को परखा नहीं गया है। अगर आप सच में जानना चाहते हैं कि वह कितने होशियार हैं, तो उन्हें एक ऐसी चुनौती दें जिससे उनका असली हुनर सामने आए!”
राजा को यह विचार अच्छा लगा और उन्होंने तेनालीराम को बुलाकर कहा, “अगर तुम सच में इतने बुद्धिमान हो, तो मैं तुम्हें एक चुनौती देता हूं। तुम्हें इस दरबार के सबसे खतरनाक व्यक्ति को खोजकर मेरे सामने लाना होगा।”
तेनालीराम मुस्कुराए और बोले, “महाराज, मुझे बस एक दिन का समय दें, मैं आपकी इच्छा पूरी करूंगा।” राजा ने सहमति दे दी।
अगले दिन तेनालीराम दरबार में आए और साथ में उसी मंत्री को भी लेकर आए, जो हमेशा उनके खिलाफ साजिशें रचता था। राजा ने आश्चर्य से पूछा, “तेनालीराम, यह तुमने क्या किया? मैंने कहा था कि सबसे खतरनाक व्यक्ति को लाना, और तुम इस मंत्री को क्यों लाए?”
तेनालीराम ने हंसते हुए जवाब दिया, “महाराज, यह दरबार का सबसे खतरनाक व्यक्ति है, क्योंकि यह चुपचाप साजिशें रचता है, दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, और राज्य में अशांति फैलाने का प्रयास करता है। असली खतरा तलवार से नहीं, बल्कि षड्यंत्रकारी दिमाग से होता है।”
राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री की सच्चाई को समझ लिया और उसे दंड दिया। तेनालीराम की चतुराई फिर से दरबार में चमक उठी।
सीख:
इस कहानी से हमें सिखने को मिलता है कि असली दुश्मन वह नहीं होता जो सामने से वार करे, बल्कि वह होता है जो गुप्त रूप से साजिश रचता है। बुद्धिमानी से ऐसे लोगों को पहचानकर उनसे सावधान रहना ही सबसे अच्छा उपाय है।

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