तेनालीराम और पुराना चाकू

तेनालीराम और पुराना चाकू

Tenali Raman and the old knife


तेनालीराम और पुराना चाकू : एक दिन, विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय दरबार में बैठे थे। दरबारियों में होड़ लगी थी कि कौन राजा को सबसे अनोखा उपहार दे सकता है। तभी एक धनी व्यापारी दरबार में आया और राजा को एक पुराना, जंग लगा हुआ चाकू भेंट किया।

राजा ने हैरान होकर पूछा, “यह क्या है?” व्यापारी बोला, “महाराज, यह चाकू बहुत प्राचीन और अनमोल है। यह मेरे पूर्वजों का पारिवारिक खजाना है, और इसे आपको भेंट करना मेरे लिए सम्मान की बात है।” राजा इस बात से प्रसन्न हुए और व्यापारी को इनाम देने का आदेश दिया। लेकिन तभी तेनालीराम हँसते हुए बोले, “महाराज, अगर मैं आपको इससे भी दुर्लभ उपहार दूँ, तो क्या मुझे इनाम मिलेगा राजा मुस्कुराए और बोले, “बिल्कुल, तेनाली! लेकिन यह कैसे संभव होगा?”

तेनालीराम की चतुराई

तेनालीराम घर गए और अगले दिन दरबार में लौटे। उनके हाथ में एक पुराना, जंग लगा हुआ टूटा हुआ चम्मच था!
राजा ने पूछा, “यह क्या है?”
तेनालीराम ने हाथ जोड़कर कहा, “महाराज, यह मेरे दादा के परदादा के समय का चम्मच है। यह इतना पुराना है कि इसे खाने के बजाय पूजा में रखना चाहिए। मैं इसे आपको भेंट करना चाहता हूँ।”
यह सुनकर राजा हँस पड़े और बोले, “अरे! यह तो सिर्फ एक बेकार टूटा हुआ चम्मच है!”
तेनालीराम मुस्कुराए और बोले, “ठीक वैसे ही जैसे कल दिया गया पुराना जंग लगा चाकू! अगर पुरानी चीज़ों से ही किसी की महानता तय होती, तो हर टूटी-फूटी चीज़ अनमोल होती!”

सीख

राजा को अपनी गलती समझ आ गई और उन्होंने व्यापारी को इनाम देने का आदेश वापस ले लिया। उन्होंने कहा, “वास्तविक मूल्य वस्तु की उपयोगिता से तय होता है, न कि उसकी उम्र से

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