गरीब और ईमानदार बच्चे की कहानी

गरीब और ईमानदार बच्चे की कहानी

Story of poor and honest child


गरीब मगर ईमानदार बच्चा :
गाँव के एक छोटे से घर में रामू नाम का एक बच्चा अपनी माँ के साथ रहता था। उसके पिता का देहांत हो चुका था, और उसकी माँ मेहनत-मजदूरी करके घर चलाती थी। रामू बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। वह स्कूल के बाद खेतों में काम करने जाता और जो भी कमाई होती, वह अपनी माँ को दे देता।
ईमानदारी की परीक्षा
एक दिन रामू अपने स्कूल से लौट रहा था, तो उसे रास्ते में एक चमचमाता बटुआ मिला। उसमें काफी पैसे थे और कुछ ज़रूरी कागज़ात भी थे। रामू के पास खुद पहनने के लिए अच्छे कपड़े नहीं थे, कई बार वह बिना खाना खाए भी सो जाता था, लेकिन उसने सोचा— “यह किसी और का है, मुझे इसे लौटाना चाहिए।”
उसने बटुए में रखे कागज देखे, जिनसे उसे बटुए के मालिक का पता चला। वह तुरंत उस आदमी के घर गया और बटुआ लौटा दिया। बटुए के मालिक सेठ दिनेशलाल थे, जो गाँव के बहुत अमीर आदमी थे।
ईमानदारी का इनाम
रामू की ईमानदारी देखकर सेठ जी बहुत खुश हुए। उन्होंने रामू से पूछा,
“बेटा, तुम्हें यह पैसे देखकर लालच नहीं आया?”
रामू ने मासूमियत से जवाब दिया,
“नहीं सेठ जी, मेरी माँ ने सिखाया है कि किसी और की चीज़ को अपनाना गलत होता है।”
सेठ जी उसकी सच्चाई और ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने रामू की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया और उसकी माँ को भी काम देने का वादा किया।
रामू की ईमानदारी ने उसकी ज़िंदगी बदल दी। अब वह बिना किसी चिंता के पढ़ सकता था और उसकी माँ को भी आराम मिल गया। उसने यह सीख ली कि ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है।

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