एक समय की बात है, एक हरा-भरा जंगल था जहां विभिन्न जानवर और पक्षी खुशी से रहते थे। उसी जंगल में एक राजसी और सुंदर सफेद घोड़ा था जिसका नाम अराव था। अराव अपने शानदार सफेद कोट और तेज़ दौड़ने की क्षमता के लिए जाना जाता था। वह बहुत ही साहसी और दयालु था, और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था।
जंगल के एक किनारे पर एक नदी बहती थी, जिसके पार एक छोटा सा गांव था। उस गांव के लोग अक्सर जंगल से लकड़ी, जड़ी-बूटियां और फल इकट्ठा करने जाते थे। लेकिन एक दिन, नदी में अचानक बाढ़ आ गई और गांववालों का जंगल में आना मुश्किल हो गया।
गांव के लोग बहुत चिंतित हो गए क्योंकि उन्हें जंगल की सामग्री की जरूरत थी। तब गांव के मुखिया ने अराव से मदद की गुहार लगाई। अराव ने बिना किसी संकोच के गांववालों की मदद करने का फैसला किया। उसने गांववालों को अपने पीठ पर बैठाकर नदी पार करने का प्रस्ताव रखा।
अराव ने अपनी तेज़ दौड़ने की क्षमता का उपयोग करके गांववालों को सुरक्षित नदी पार कराया। वह बार-बार नदी पार करता रहा और गांव के लोगों को जंगल में ले जाता और वापस लाता। उसकी इस अद्भुत सेवा और साहस से गांव के लोग बहुत प्रभावित हुए।
कुछ समय बाद, बाढ़ का स्तर कम हो गया और गांव के लोग फिर से सामान्य जीवन जीने लगे। उन्होंने अराव की बहादुरी और दयालुता की बहुत सराहना की। अराव ने सिखाया कि जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो हम सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
और इस तरह, अराव का नाम हमेशा के लिए गांव के लोगों के दिलों में अमर हो गया। सफेद घोड़े की यह कहानी हमें सिखाती है कि साहस, दयालुता और सेवा के माध्यम से हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।
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