धोखेबाज लोमड़ी की कहानी
The Story Of The Deceitful Fox
धोखेबाज लोमड़ी की कहानी : एक समय की बात है, एक जंगल में एक बहुत ही चालाक और धोखेबाज लोमड़ी रहती थी। वह हमेशा अपने फायदे के लिए दूसरों को धोखा देती थी और उनकी मेहनत का फल खुद खा जाती थी।
भालू और लोमड़ी
एक दिन जंगल में एक भालू को शहद का बड़ा छत्ता मिला। वह बहुत खुश हुआ और सोचने लगा, “इतना स्वादिष्ट शहद अकेले खाने से अच्छा है कि मैं अपने दोस्त लोमड़ी के साथ बाँट लूँ।”
भालू लोमड़ी के पास गया और बोला, “मुझे एक शहद का छत्ता मिला है। मैं चाहता हूँ कि हम दोनों मिलकर इसे खाएँ।”
लोमड़ी ने चालाकी से मुस्कुराते हुए कहा, “वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन शहद खाने से पहले हमें इसे अच्छे से सुरक्षित रखना चाहिए। चलो, इसे एक गड्ढे में दबा देते हैं और जब भूख लगेगी, तब इसे खाएँगे।”
भालू को लोमड़ी की बात सही लगी। दोनों ने मिलकर शहद के छत्ते को एक गड्ढे में छुपा दिया।
लोमड़ी की चोरी
रात होते ही चालाक लोमड़ी चुपके से गड्ढे के पास गई और धीरे-धीरे शहद खाना शुरू कर दिया। वह हर रात थोड़ा-थोड़ा शहद चाट जाती और फिर गड्ढे को वैसे ही ढक देती।
कुछ दिनों बाद जब भालू को शहद खाने की इच्छा हुई, तो वह लोमड़ी के साथ गड्ढे के पास पहुँचा। लेकिन जब उसने गड्ढा खोदा, तो वह यह देखकर हैरान रह गया कि पूरा शहद गायब हो चुका था!
भालू ने गुस्से में पूछा, “यह कैसे हुआ? हमारा शहद कहाँ गया?”
लोमड़ी ने चालाकी से कहा, “शायद कोई और जानवर इसे चुरा कर ले गया होगा!”
लेकिन भालू को शक हुआ। उसने ध्यान से लोमड़ी की ओर देखा और पाया कि उसकी जीभ पर शहद के निशान थे! भालू को समझते देर न लगी कि लोमड़ी ही असली चोर थी।
लोमड़ी को सबक
भालू बहुत गुस्सा हुआ और उसने लोमड़ी को जंगल से भगा दिया। अब जंगल के सारे जानवर समझ गए कि लोमड़ी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच और धोखा ज्यादा दिनों तक नहीं चलता। ईमानदारी से जीने वाला व्यक्ति ही सबका सच्चा मित्र बनता है।
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