तेनालीराम ने खरीदा जहाज
Tenaliram bought a ship
Tenaliram bought a ship : तेनालीराम ने खरीदा जहाज तेनालीराम की बुद्धिमानी के किस्से दूर दूर तक मशहूर थे। एक दिन वे बाजार से गुजर रहे थे तभी एक व्यापारी ऊंची आवाज़ में चिल्ला रहा था
आओ-आओ! कम कीमत में अपना जहाज खरीदो! बड़ा सौदा, शानदार फायदा!”
तेनालीराम को आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा, “हमारे शहर में समुद्र नहीं, फिर जहाज किस काम का?” लेकिन उन्हें व्यापारी की चालाकी पर संदेह हुआ और उन्होंने सबक सिखाने का निश्चय किया।
उन्होंने जहाज की कीमत पूछी। व्यापारी बोला, “सिर्फ 100 सोने के सिक्के!” तेनाली ने सिक्के दिए और कहा, “जहाज मेरे नाम कर दो।”
व्यापारी ने हंसते हुए एक छोटा-सा खिलौना जहाज तेनाली को पकड़ा दिया और बोला “यह लीजिए, आपका जहाज!”
भीड़ में सब हंसने लगे लेकिन तेनाली चुप रहे।
अगले दिन…
तेनाली ने दरबार में शिकायत की कि व्यापारी ने उन्हें धोखा दिया। राजा ने व्यापारी को बुलवाया।
तेनाली बोले “महाराज, यह व्यापारी असली जहाज का दावा कर रहा था, पर मुझे खिलौना दे दिया। मैं इसके खिलाफ कार्रवाई चाहता हूँ।”
व्यापारी हंसते हुए बोला “महाराज, मैंने कहीं नहीं कहा कि यह असली जहाज है।”
तेनाली ने मुस्कुराते हुए कहा “ठीक है! तब आपको 100 सोने के सिक्के लौटाने होंगे, क्योंकि मैंने असली सिक्कों का ज़िक्र नहीं किया था। मैंने तो ‘खिलौना’ सिक्के दिए थे!”
राजा हंस पड़े और व्यापारी को आदेश दिया कि वह पैसे लौटाए और आगे से ईमानदारी बरते।
सीख:
धोखाधड़ी की चालाकी हमेशा समझदारी से मात खा जाती है।
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