तेनालीराम और ऊँट

तेनालीराम और ऊँट

Tenali Raman and the Camel


तेनालीराम और ऊँट : एक बार की बात है, विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को कहीं से एक ऊँट उपहार में मिला। वह ऊँट बहुत ही बड़ा और अजीब दिखने वाला था। राजा ने दरबार में सभी मंत्रियों और दरबारियों को ऊँट दिखाया और पूछा,
“बताओ, इस ऊँट की सबसे बड़ी खासियत क्या है?” सब दरबारी एक-एक करके ऊँट की तारीफ करने लगे – कोई बोला, “इसका कद बहुत ऊँचा है”, कोई बोला “बहुत मजबूत है”, तो कोई बोला, “राजा के रथ को खींच सकता है।” राजा सबकी बातें सुनकर मुस्कुराए। फिर उन्होंने तेनालीराम से पूछा,
“तेनाली, तुम क्या कहते हो? इस ऊँट की सबसे बड़ी खासियत क्या है?”
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तेनालीराम मुस्कराया और बोला,
“महाराज, इस ऊँट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बोलता नहीं है!”

सारे दरबारी हँस पड़े, पर राजा को मजा आया। उन्होंने पूछा,
“पर ये कैसी खासियत हुई?”

तेनालीराम ने जवाब दिया,
“महाराज, अगर ये बोलने लगता तो हर समय शिकायत करता रहता – ‘धूप बहुत तेज है’, ‘पानी नहीं है’, ‘थक गया हूँ’, वगैरह वगैरह… लेकिन यह बिना शिकायत किए सब कुछ सहता है। यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है।”

राजा तेनालीराम की बात से बहुत प्रभावित हुए और उसे इनाम दिया।

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सीख:

धैर्य और सहनशीलता भी एक महान गुण हैं। जो बिना शिकायत अपने कर्तव्यों को निभाता है, वही सच्चा कर्मयोगी होता है।

 

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