तेनालीरामा का ऊंट की कहानी
story of tenalirama’s camel
story of tenalirama’s camel : तेनालीरामा का ऊंट की कहानी
एक दिन विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक व्यापारी आया उसके पास एक ऊंट था जिसे वह राजा को बेचना चाहता था राजा को ऊंट बहुत पसंद आया और उन्होंने ऊंट खरीद लिया लेकिन जब ऊंट को महल में लाया गया तो एक अजीब समस्या खड़ी हो गई ऊंट बहुत जिद्दी था और किसी की भी बात नहीं मानता था।
राजा के कई दरबारी और प्रशिक्षित सेवक उसे काबू करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ऊंट किसी की भी नहीं सुन रहा था। राजा इस समस्या से बहुत परेशान हो गए। तभी तेनालीराम ने आगे बढ़कर कहा महाराज यदि आप चाहें तो मैं इस ऊंट को पूरी तरह से अनुशासित कर सकता हूँ
राजा को तेनालीराम की बुद्धिमत्ता पर भरोसा था इसलिए उन्होंने उसे यह काम सौंप दिया।
तेनालीराम की चालाकी
तेनालीराम ने पहले ऊंट का अच्छी तरह से निरीक्षण किया और फिर एक अनोखी तरकीब सोची वह ऊंट को लेकर महल के बाग में गया वहाँ उसने ऊंट के सामने एक बहुत ही हरी भरी स्वादिष्ट घास से भरी जगह दिखाई लेकिन उसे एक मजबूत रस्सी से बाँध दिया ताकि वह वहाँ तक न पहुँच सके। ऊंट ने घास खाने की बहुत कोशिश क लेकिन सफल नहीं हुआ।
फिर तेनालीराम ने ऊंट को एक सूखी और बंजर जगह पर ले जाकर बाँध दिया अब ऊंट को भूख भी लग रही थी और गुस्सा भी आ रहा था यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा ऊंट को हर बार हरी घास दिखती लेकिन वह उसे खा नहीं पाता।
ऊंट का सबक
कुछ दिनों बाद ऊंट ने समझ लिया कि उसे तेनालीराम की बात माननी पड़ेगी तभी उसे हरी घास खाने को मिलेगी अब ऊंट पूरी तरह से प्रशिक्षित हो चुका था और जो भी निर्देश दिया जाता वही करता।
जब तेनालीराम ऊंट को लेकर राजा के पास पहुँचा तो ऊंट बिल्कुल आज्ञाकारी बन चुका था। यह देखकर राजा बहुत खुश हुए और तेनालीराम को पुरस्कार दिया।
कहानी से सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धिमानी और धैर्य से किसी भी समस्या को हल किया जा सकता है कभी कभी सख्ती की जगह चतुराई ज्यादा प्रभावी साबित होती है
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