श्याम किसान की गरीबी
Poverty Of Shyam Farmer
श्याम किसान की गरीबी : श्याम एक मेहनती किसान था जो अपने छोटे से खेत में दिन रात मेहनत करता था। उसका गाँव पहाड़ों और हरे भरे खेतों से घिरा हुआ था लेकिन उसकी ज़िंदगी में हरियाली कम और संघर्ष ज़्यादा था।
संघर्ष की शुरुआत
श्याम के पास ज़मीन बहुत कम थी और जो थी वह भी सूखे और बाढ़ की मार झेल चुकी थी। मौसम की मार ने उसकी फसलों को कई बार नष्ट कर दिया था और कर्ज़ के बोझ ने उसकी कमर तोड़ दी थी। वह हर सुबह उम्मीद लेकर खेत में जाता लेकिन शाम को खाली हाथ लौटता। गाँव के साहूकार ने उसे कर्ज़ दिया था और अब वह ब्याज के पैसों के लिए रोज़ धमकी देता। श्याम के पास देने को कुछ नहीं था बस मेहनत थी लेकिन मेहनत से पेट नहीं भरता था। उसकी पत्नी और बच्चे दिन में दो बार भी ठीक से खाना नहीं खा पाते थे।
अंतिम उम्मीद
एक दिन श्याम ने सोचा कि वह शहर जाकर मजदूरी करेगा और अपने परिवार के लिए कुछ पैसे जुटाएगा। लेकिन शहर में भी हालात आसान नहीं थे। वहाँ भी काम की तलाश में कई लोग भटक रहे थे। श्याम ने दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया लेकिन जो पैसे मिले वे इतने कम थे कि परिवार तक पहुँचते पहुँचते खत्म हो जाते।
गाँव की वापसी और उम्मीद की किरण
थक-हारकर श्याम गाँव लौट आया। लेकिन इस बार उसने हार नहीं मानी। उसने गाँव के दूसरे किसानों को इकट्ठा किया और सबने मिलकर एक सामूहिक खेती शुरू की। सबने मिलकर एक नई तकनीक अपनाई जिससे फसलें पहले से बेहतर हुईं। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई, और अब वे अपनी उपज को अच्छे दामों पर बेचने लगे। श्याम की गरीबी की कहानी सिर्फ संघर्ष की कहानी नहीं थी बल्कि यह दिखाती है कि मेहनत और एकता से अंधेरे से भी रोशनी निकाली जा सकती है। अब श्याम सिर्फ एक गरीब किसान नहीं था बल्कि गाँव के लिए एक मिसाल बन चुका था।
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