भूतों की नई गाड़ी : गहरे जंगल के पार, एक उजाड़ गाँव था जहाँ कोई भी रात में जाने की हिम्मत नहीं करता था। कहते थे कि वहाँ भूतों का राज था।
भूतों की नई योजना
गाँव के पुराने हवेली में कई भूत रहते थे भूरा भूत लल्लन भूत चुन्नी चुड़ैल और मोटू पिशाच। वे हर रात अजीबोगरीब आवाज़ें निकालते और लोगों को डराते। लेकिन एक दिन भूतों को एक नई परेशानी हुई गाँव वाले अब डरने लगे थे और उनके पास कोई नया इंसान डराने के लिए नहीं बचा था
भूतों ने सोचा अब क्या करें तभी भूरा भूत बोला हमें एक नई गाड़ी खरीदनी चाहिए जिससे हम दूर दूर तक घूमकर लोगों को डरा सकें सबको यह आइडिया बहुत पसंद आया
गाड़ी खरीदने की मुश्किलें
लेकिन दिक्कत यह थी कि भूतों के पास पैसे नहीं थे चुन्नी चुड़ैल बोली हम बैंक में घुसकर पैसे चुरा सकते हैं लेकिन लल्लन भूत ने कहा नहीं हमें ईमानदारी से गाड़ी खरीदनी चाहिए आखिरकार मोटू पिशाच ने एक तरकीब सोची। उन्होंने एक पुरानी टूटी-फूटी गाड़ी चुनी और अपनी जादुई शक्तियों से उसे चमचमाती भूतिया गाड़ी बना दिया
भूतिया गाड़ी का आतंक
अब भूतों की नई गाड़ी रात में उड़ने लगी कभी गायब हो जाती तो कभी अचानक लोगों के सामने आ जाती। गाँव के लोग इसे देखकर घबरा गए और सोचने लगे कि यह कोई राक्षसी गाड़ी है लेकिन एक दिन जब भूत अपनी गाड़ी लेकर शहर गए, तो एक छोटे बच्चे ने डरने के बजाय ज़ोर-ज़ोर से हँसना शुरू कर दिया बच्चे ने कहा अरे ये तो बहुत मज़ेदार गाड़ी है भूतों को समझ आया कि अब लोग डरने के बजाय उनका मज़ाक बना रहे हैं। इसलिए उन्होंने सोचा कि डराने की जगह वे अब हंसाने का काम करेंगे
सीख
अब भूतों की नई गाड़ी लोगों को डराने के बजाय हँसी और मज़ा फैलाने लगी। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि खुशियाँ फैलाना डराने से ज्यादा अच्छा होता है