शेर और तितली की दोस्ती

शेर और तितली की दोस्ती

Friendship of lion and butterfly


Friendship of lion and butterfly: शेर और तितली की दोस्ती घने जंगल में एक विशाल और शक्तिशाली शेर रहता था। उसकी दहाड़ से पूरा जंगल काँप जाता। लेकिन शेर को लगता था कि वह सबसे ताकतवर है उसे किसी की ज़रूरत नहीं।

एक दिन शेर एक तालाब के पास बैठा था। तभी एक रंग-बिरंगी तितली उसके पास आई और बोली

“क्या मैं तुम्हारे साथ बैठ सकती हूँ?”

शेर हँसते हुए बोला “तुम जैसी नन्ही तितली मेरे दोस्त बनने की सोच भी कैसे सकती हो?”
तितली मुस्कुराई और बोली “दोस्ती दिल से होती है, ताकत से नहीं।” शेर को उसकी बात में सच्चाई दिखी और उसने तितली को अपना दोस्त बना लिया।
वक़्त बीतता गया…
अब शेर और तितली हर दिन तालाब के पास मिलते शेर अपनी कहानियाँ सुनाता और तितली फूलों से जुड़ी मजेदार बातें। उनकी दोस्ती गहरी हो गई।
एक दिन शिकारी जंगल में आए। उन्होंने शेर को जाल में फंसा लिया। शेर ज़ोर से दहाड़ा लेकिन जंगल में कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया।
तभी तितली ने देखा और समझ गई कि उसे अपने दोस्त को बचाना है। वह उड़कर जंगल के दूसरे जानवरों के पास गई और उन्हें खबर दी सब जानवर मिलकर शेर को छुड़ाने पहुँचे मिलकर उन्होंने जाल काट दिया और शेर आज़ाद हो गया।
शेर ने तितली को धन्यवाद दिया और कहा
“तुमने सही कहा था दोस्ती दिल से होती है। तुमने साबित कर दिया कि सच्चा दोस्त वही होता है जो मुश्किल में साथ दे।”
सीख:
सच्ची दोस्ती में ताकत नहीं, भरोसा और समझदारी ज़रूरी होती है।

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