एक बार की बात है, एक दूर, अनजाना गाँव था जहाँ परियाँ निवास करती थीं। इस गाँव का नाम था “स्वप्नलोक”। यहाँ की परियाँ अपने चमकदार पंखों और जादुई शक्तियों के लिए प्रसिद्ध थीं। इस गाँव में हर रोज़ खुशियाँ और उत्सव मनाया जाता था।
स्वप्नलोक के केंद्र में एक जादुई तालाब था, जिसकी जलधाराएं हर रंग में चमकती थीं। इस तालाब का जल अगर कोई पी लेता, तो उसके सपने सच हो जाते।
स्वप्नलोक की सबसे प्यारी परी का नाम था “तारा”। वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहती थी और अपनी जादुई शक्तियों से सबके जीवन में खुशियाँ भर देती थी। एक दिन, उसने देखा कि एक नन्हा बालक गाँव के बाहर खड़ा है, उसके आँखों में आँसू हैं।
उस ने उस बालक के पास जाकर पूछा, “क्या हुआ प्यारे बालक? तुम क्यों उदास हो?”
बालक ने कहा, “मैंने अपना घर खो दिया है और मुझे नहीं पता कि मैं कहाँ जाऊं।”
पारी ने मुस्कुराते हुए कहा, “चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूंगी।”
उस ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और बालक को एक सुंदर घर दिखाया, जहाँ उसे रहने के लिए सब कुछ मिल गया। बालक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
तारा ने कहा, “याद रखना, जब भी तुम्हें मदद की जरूरत हो, तुम स्वप्नलोक आ सकते हो। यहाँ पर हमेशा तुम्हारे लिए एक स्थान रहेगा।”
इस तरह से पारी ने बालक की मदद की और स्वप्नलोक का गाँव और भी जादुई बन गया। यहाँ हर कोई अपने सपनों को साकार कर सकता था और सबके जीवन में खुशियाँ बिखेर सकता था।
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