एक समय की बात है, परियों का एक अद्भुत और रहस्यमय राज्य था, जिसे “परिलोक” कहा जाता था। परिलोक का राजा था “रवि” और रानी थी “चन्द्रिका”। दोनों अपने राज्य को बहुत प्यार करते थे और हर परी उनकी प्रशंसा करती थी।
परिलोक में एक विशेष नियम था: हर परी को अपनी शक्तियाँ प्राप्त करने के लिए एक विशेष परीक्षा पास करनी होती थी। यह परीक्षा एक जादुई जंगल में होती थी, जहाँ परी को अपनी हिम्मत और ज्ञान का उपयोग करना पड़ता था।
हमारी कहानी की नायिका का नाम था “नीला”। नीला एक युवा परी थी, जिसकी आँखों में बड़े सपने थे। वह अपने माता-पिता को गर्वित करना चाहती थी और अपनी शक्तियाँ प्राप्त करना चाहती थी। जब नीला की परीक्षा का दिन आया, तो वह पूरे आत्मविश्वास के साथ जंगल की ओर बढ़ी।
जंगल में प्रवेश करते ही नीला ने देखा कि हर जगह अद्भुत फूल खिल रहे हैं और पक्षी मधुर गीत गा रहे हैं। लेकिन अचानक, उसे एक भयानक आवाज सुनाई दी। उसने देखा कि एक बड़ा राक्षस जंगल में तबाही मचा रहा है।
नीला ने बिना डरे राक्षस का सामना करने का निर्णय लिया। उसने अपने मन की शक्ति और हिम्मत का उपयोग किया और राक्षस को शांत करने के लिए सुंदर संगीत की धुन बनाई। धुन सुनते ही राक्षस का दिल पिघल गया और वह शांत हो गया।
नीला की इस बहादुरी और ज्ञान को देखकर परिलोक के राजा-रानी ने उसकी बहुत तारीफ की और उसे परियों की शक्तियाँ प्रदान कीं। नीला अब एक शक्तिशाली परी बन गई थी और उसने अपने राज्य की रक्षा और सेवा करने का वचन लिया।
आशा है यह कहानी आपको पसंद आई होगी! यदि आप और कहानियाँ सुनना चाहते हैं,