एक बार की बात है, एक गंदे नाले के किनारे मच्छरों का एक बड़ा झुंड रहता था। उनमें दो मच्छर कालू और लालू बहुत ताकतवर और घमंडी थे। दोनों हमेशा आपस में झगड़ते रहते थे कि कौन ज्यादा ताकतवर है और किसका इलाके पर ज्यादा हक है। एक दिन दोनों में झगड़ा हो गया। कालू बोला मैं इस नाले का राजा हूँ! मेरे बिना यहाँ कोई जी नहीं सकता
लालू भी चिढ़कर बोला अरे बेवकूफ असली राजा तो मैं हूँ! मेरी दहशत इंसानों तक है मैं सबसे ज्यादा खून चूसता हूँ इस बहस ने जल्दी ही एक खूनी लड़ाई का रूप ले लिया। दोनों मच्छर हवा में उड़ते हुए एक-दूसरे पर झपट पड़े। कालू ने लालू की टांग पकड़ ली और हवा में घुमाकर उसे एक पत्ते पर पटक दिया। लालू ने भी गुस्से में कालू के पंख खींच लिए। दोनों एक-दूसरे को डंक मारने लगे जिससे उनके शरीर से खून निकलने लगा। लड़ते लड़ते वे इतने मशगूल हो गए कि उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि एक इंसान पास ही मच्छर मारने वाला स्प्रे लेकर खड़ा है। जैसे ही उन्होंने आखिरी वार करने के लिए एक-दूसरे पर झपट्टा मारा इंसान ने झट से स्प्रे छिड़क दिया।
फुर्रर्रर्र…
कुछ ही सेकंड में दोनों मच्छर तड़प तड़प कर वहीं गिर गए। उनकी लड़ाई का अंत उनके जीवन के अंत के साथ हो गया
शिक्षा:
व्यर्थ की लड़ाई और अहंकार का परिणाम हमेशा विनाश होता है। अगर कालू और लालू अपनी ताकत को लड़ने के बजाय सही काम में लगाते तो शायद वे जिंदा रहते