एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में अलीबाबा नाम का एक बहुत ही सीधा-साधा व्यक्ति रहता था। वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करता था। एक दिन, अलीबाबा जंगल में लकड़ियाँ इकट्ठा कर रहा था जब उसने कुछ अजीब देखा। उसे बहुत से चोरों का एक समूह दिखाई दिया जो एक गुफा में जा रहे थे। छुपकर देखा कि चोरों का सरदार एक बड़े पत्थर के सामने खड़ा होकर जोर से बोला, “खुल जा सिम-सिम!” और पत्थर धीरे-धीरे सरककर गुफा का द्वार खुल गया। सारे चोर गुफा के अंदर चले गए और कुछ समय बाद वे बाहर आकर दुबारा “बंद हो जा सिम-सिम!” कहकर गुफा का द्वार बंद कर दिए। यह सब देखा और सोचा कि उसे भी गुफा के अंदर जाकर देखना चाहिए। जब चोर चले गए, अलीबाबा गुफा के पास गया और जोर से बोला, “खुल जा सिम-सिम!” गुफा का द्वार खुल गया और बाबा अंदर चला गया। उसे अंदर ढेर सारे सोने, चांदी और कीमती रत्नों का खजाना मिला।
अलीबाबा ने कुछ सोने के सिक्के और रत्न अपने साथ लिए और गुफा का द्वार बंद कर दिया। वह खुशी-खुशी अपने घर लौट आया और अपनी पत्नी को सब कुछ बताया। वे दोनों बहुत खुश हुए और उन्होंने तय किया कि वे इस खजाने का उपयोग सही तरीकों से करेंगे।
लेकिन दूसरी तरफ, चोरों ने भी जल्द ही महसूस किया कि किसी ने उनके खजाने में सेंध लगाई है। वे गुस्से में आ गए और अलीबाबा को ढूंढने का निर्णय किया। एक दिन, चोरों का सरदार अलीबाबा के घर के पास आ गया और उसकी पत्नी से पूछा कि उसने अचानक इतना सोना कहां से पाया। अलीबाबा की पत्नी ने चालाकी से कहा, “हमने यह सब मेहनत से कमाया है।”
चोरों ने सोचा कि शायद यह सही है, लेकिन उनके सरदार ने तय किया कि वे अलीबाबा की कड़ी निगरानी करेंगे। लेकिन अलीबाबा बहुत ही चालाक और चतुर था। उसने चोरों को भ्रमित करने के लिए तरह-तरह की तरकीबें अपनाईं। एक दिन, जब चोर अलीबाबा के घर के बाहर छुपे हुए थे, अलीबाबा ने जोर से आवाज लगाई, “खुल जा सिम-सिम!” लेकिन दरवाजा नहीं खुला।
चोरों ने सोचा कि अलीबाबा पागल हो गया है और उन्हें गुफा का रहस्य बताने की जरूरत नहीं है। वे हंसते-हंसते वहां से चले गए और फिर कभी अलीबाबा को परेशान नहीं किया।
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