शेख़ चिल्ली और खाली घड़ा(Sheikh Chilli and the Empty Pitcher)

एक बार की बात है, शेख़ चिल्ली के पास कुछ पैसे थे। उसने सोचा कि इन पैसों से कुछ ऐसा खरीदूँ, जिससे और भी ज्यादा पैसे कमा सकूँ। बहुत सोचने के बाद, उसने बाजार जाकर एक बड़ा घड़ा खरीद लिया। लेकिन घड़ा खाली था, और शेख़ चिल्ली के पास और पैसे नहीं बचे थे।

शेख़ चिल्ली ने सोचा, “अगर मैं इस घड़े को दूध से भर दूं और फिर उससे दही बनाऊं, तो उसे बेचकर बहुत पैसे कमा सकता हूँ।” लेकिन उसके पास दूध खरीदने के पैसे नहीं थे, तो वह बिना कुछ किए ही घड़े को अपने सिर पर रखकर ले गया और अपने कमरे में रख दिया।

रात को सोने से पहले शेख़ चिल्ली ने सोचा, “कल मैं इस घड़े को दूध से भरूँगा, फिर दही बनाऊंगा, और उसे बेचकर पैसे कमाऊंगा। उन पैसों से मैं एक गाय खरीद लूँगा। गाय से और दूध मिलेगा, और उससे और भी ज्यादा पैसे कमाऊंगा। फिर उन पैसों से मैं एक बड़ा खेत खरीद लूँगा। उस खेत में ढेर सारे अनाज उगाऊंगा। फिर मेरा नाम बड़े व्यापारियों में लिया जाएगा, और सब लोग मुझे अमीर समझेंगे।”

यह सोचते-सोचते शेख़ चिल्ली इतना खुश हुआ कि उसने पैर से घड़े को जोर से धक्का मारा। घड़ा लुढ़ककर टूट गया, और शेख़ चिल्ली का सारा सपना टूट गया। अब वह खाली घड़े के टुकड़ों को देखता रहा और अपनी मूर्खता पर हँसता रहा।

शिक्षा: बिना सोचे-समझे हवाई किले बनाने का कोई फायदा नहीं है। पहले काम शुरू करें, फिर योजनाएं बनाएं।

शेख़ चिल्ली की ये कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत और यथार्थ के बिना सफलता की कल्पना करना व्यर्थ है।

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