गुब्बारे वाला आया रे,
रंग-बिरंगे गुब्बारे लाया रे।
लाल, पीले, हरे, नीले,
देखो सबके चेहरे खिले।
हवा में उड़ते जैसे तारे,
सबको भा गए गुब्बारे।
छोटे-छोटे हाथों में,
खुशियों के रंग भरे प्यारे।
गोल-गोल ये गुब्बारे,
उड़ते जाएं सारे-सारे।
तितली जैसा मन भी उड़े,
हर बच्चा खुशी से झूले।
आओ हम भी लें गुब्बारा,
खुशियों का हो जाए हमारा।
गुब्बारे वाला आया रे,
रंग-बिरंगे गुब्बारे लाया रे।
यह कविता बच्चों के जीवन में गुब्बारों की रंगीन खुशियों और उनकी मासूमियत को दर्शाती है, जिससे वे बहुत आसानी से जुड़ सकते हैं।