रंग-बिरंगी तितली आई,
फूलों की खुशबू ले आई।
पंख फैलाए, इधर-उधर,
जैसे रंगों का सागर लाई।
उड़ती-फिरती, बाग़-बग़ीचे,
कभी झूमे, कभी लिपटी दीवारों से।
फूलों के संग खेलती मस्ती,
जैसे हो कोई छोटी सी बस्ती।
सूरज की किरणों से चमकती,
बारिश की बूँदों से झिलमिलाती।
हर फूल को वो छूकर कहती,
खुश रहो, बस यही है सिखाती।
बच्चों की वो प्यारी साथी,
कभी यहाँ तो कभी वहाँ जाती।
रंग-बिरंगी तितली प्यारी,
हर बाग़ की हो रानी न्यारी।
यह कविता बच्चों को तितली की सुंदरता और उसकी आज़ादी से जोड़ती है, जिससे वे प्रकृति के प्रति एक मासूम प्रेम और आकर्षण महसूस करें।