चाँद सा निकला, प्यारा गोला,
बादल ने बाँधा उसके संग झूला।
तारों ने गाया मीठा गाना,
सो गई दुनिया सारा ज़माना।
नन्हे-नन्हे परियों के दल,
आ गए झूला झूलने कल-कल।
हवा ने छेड़ी मधुर बंसी,
सपनों में खो गई छोटी काशी।
चाँद मामा ने मीठी लोरी,
सुनाई सारी रात की चोरी।
तारों ने आँख मिचोली खेली,
नींद में आई मीठी सहेली।
सुबह हुई तो सूरज निकला,
चाँद मामा ने झूला छोड़ा।
परियों ने ली विदा खुशी से,
फिर से आएंगे रात को हँसी से।
यह कविता बच्चों के लिए कल्पना और मासूमियत से भरी है, जो उन्हें रात के समय की कहानियों और सपनों में खोने का अहसास दिलाती है।