बहुत समय पहले की बात है, दो दानव थे, जिनके नाम थे कालू और भालू। वे दोनों बहुत ताकतवर थे और पूरे जंगल में उनका डर था। लेकिन इन दोनों में एक बुरी आदत थी। वे हमेशा छोटी-छोटी बातों पर आपस में लड़ते रहते थे।
एक दिन दोनों में यह बहस शुरू हो गई कि कौन अधिक शक्तिशाली है। कालू कहता, “मैं सबसे ताकतवर हूँ, क्योंकि मेरे पास एक विशाल गदा है।” जबकि भालू कहता, “मैं सबसे शक्तिशाली हूँ, क्योंकि मेरी दहाड़ से ही लोग डर जाते हैं।”
दोनों ने तय किया कि वे अपनी ताकत की परीक्षा करेंगे। दोनों ने जंगल के विभिन्न हिस्सों में जाकर पेड़ों को गिराया, पहाड़ों को तोड़ा, और जानवरों को डराया। लेकिन उनमें से कोई भी यह साबित नहीं कर पाया कि वह दूसरे से अधिक शक्तिशाली है।
अंत में, दोनों थक गए और बैठकर सोचने लगे। तभी एक बूढ़ा आदमी वहां आया और बोला, “तुम दोनों ताकतवर हो, इसमें कोई संदेह नहीं। लेकिन असली ताकत उस में होती है जो दूसरों की मदद के लिए अपनी ताकत का उपयोग करता है। अगर तुम दोनों मिलकर काम करोगे, तो सबसे शक्तिशाली बन जाओगे।”
यह सुनकर कालू और भालू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने अपनी लड़ाई छोड़ दी और मिलकर जंगल की रक्षा करने लगे। धीरे-धीरे, उनके सहयोग से जंगल में शांति और खुशहाली आ गई।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ताकत का असली मतलब दूसरों की मदद करना होता है, न कि दूसरों से लड़ना।