मोहन नाम के चोर की कहानी

मोहन नाम के चोर की कहानी

The story of a thief named Mohan


मोहन नाम के चोर की कहानी : मोहन एक छोटे से गाँव में रहने वाला चालाक और तेज दिमाग वाला व्यक्ति था। बचपन से ही उसे मेहनत से जी चुराने की आदत थी। धीरे-धीरे वह चोरी करने लगा पहले छोटे मोटे सामान फिर खेतों से फसल और आखिरकार लोगों के घरों से कीमती चीजें। मोहन की चतुराई यह थी कि वह कभी पकड़ा नहीं जाता था। गाँव के लोग डर के मारे कुछ कह नहीं पाते थे लेकिन सब जानते थे कि चोरी के पीछे वही है।

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एक दिन गाँव में एक साधु बाबा आए। उन्होंने लोगों से पूछा यहाँ सबसे बड़ा संकट क्या है लोगों ने कहा बाबा एक चोर है मोहन नाम का। लेकिन वह इतना चालाक है कि कोई उसे पकड़ नहीं पाता। बाबा ने मुस्कराते हुए कहा हर चालाकी का अंत होता है। मुझे बस कुछ दिन दो। साधु बाबा ने गाँव के मंदिर में एक पवित्र मणि रखने की बात फैलाई  यह कहकर कि वह मणि जिसकी नियत साफ़ होगी उसी के हाथ में चमकेगी। मोहन को जैसे ही यह पता चला उसकी नीयत डोल गई। उसने सोचा अगर वह मणि मैं चुरा लूँ तो बहुत अमीर हो जाऊँ।”
रात को वह मंदिर में गया। जैसे ही उसने मणि को छूने की कोशिश की चारों ओर तेज़ रोशनी फैल गई और बाबा ने सामने आकर कहा मोहन नीयत की परीक्षा में तुम असफल हो गए। गाँव वाले भी आ गए और मोहन पहली बार पकड़ा गया। बाबा ने कहा मोहन को सज़ा नहीं एक मौका दो। अगर यह सही रास्ते पर आना चाहे तो इसे समझाइए। मोहन की आँखों में आँसू थे। उसने पहली बार अपने कर्मों पर पछतावा किया। गाँव वालों ने उसे माफ़ कर दिया।इसके बाद मोहन ने चोरी छोड़ दी और बाबा का शिष्य बनकर गाँव में सेवा करने लगा। लोग उसे अब इज्ज़त से देखते थे।

कहानी की सीख:

बुद्धि का इस्तेमाल अगर गलत राह में हो तो अंत हमेशा दुखद होता है। सही समय पर बदला गया रास्ता भी जीवन को नया अर्थ दे सकता है।

 

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