सन्नू चुहिया की समझदारी
The wisdom of Sannu the mouse
सन्नू चुहिया की समझदारी : एक छोटे से गाँव में एक नन्ही चुहिया रहती थी, उसका नाम था सन्नू। सन्नू बहुत चुलबुली और समझदार थी। वो हर दिन खेतों में घूमती, अनाज इकट्ठा करती और पेड़ों के नीचे छांव में बैठकर गाने गुनगुनाती।
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एक दिन सन्नू खेत में अनाज ढूँढ रही थी, तभी उसने देखा कि कुछ दूर एक बड़ा पिंजरा रखा हुआ है, जिसमें बहुत सारा अनाज रखा था। पिंजरे के पास एक कागज भी था जिस पर लिखा था – “मुफ्त अनाज, सबका स्वागत है!“
सन्नू थोड़ी देर सोच में पड़ गई। वो जानती थी कि मुफ्त चीज़ों के पीछे कुछ न कुछ चाल होती है। तभी वहाँ उसकी दोस्त मोनू चुहिया आ गई और बिना कुछ सोचे पिंजरे की ओर भागी।
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“रुक मोनू! ये जाल हो सकता है,” सन्नू ने चिल्लाकर कहा।
मोनू ने हँसते हुए कहा, “इतना स्वादिष्ट अनाज देखकर तुझे शक क्यों हो रहा है?”
लेकिन जैसे ही मोनू पिंजरे में घुसी और अनाज खाने लगी, पिंजरा झट से बंद हो गया।
सन्नू डर गई, लेकिन घबराई नहीं। उसने फुर्ती से इधर-उधर देखा और पास के पेड़ से एक लंबी डाली खींचकर पिंजरे के लॉक को खोल दिया। मोनू बाहर आ गई, और दोनों जल्दी से वहाँ से भाग गईं।
बाद में मोनू ने सन्नू से कहा, “तू सच में बहुत समझदार है, आज तूने मेरी जान बचा ली।“
उस दिन के बाद से गाँव में सब चुहियाँ सन्नू को “चतुर सन्नू” कहने लगीं।