एक घने जंगल में एक खरगोश और एक लोमड़ी रहते थे। लोमड़ी बहुत चालाक थी और हमेशा खरगोश को परेशान करने की योजना बनाती रहती थी। खरगोश बहुत ही डरपोक था और हमेशा लोमड़ी से डरता था।
जब खरगोश उधर से गुजरा, तो वह गड्ढे में गिर गया। लोमड़ी ने सोचा कि अब वह आसानी से खरगोश को खा सकती है। लेकिन खरगोश बहुत चतुर था। उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और गड्ढे से बाहर निकलने का तरीका खोजा।
खरगोश ने गड्ढे में पड़ी पत्तियों और टहनियों का उपयोग करके एक सीढ़ी बनाई और बाहर निकल आया। जब लोमड़ी ने देखा कि खरगोश गड्ढे से बाहर आ गया है, तो वह हैरान रह गई। खरगोश ने कहा, “लोमड़ी बहन, चालाकी से नहीं, बल्कि चतुराई से जीता जाता है।”
इसके बाद, लोमड़ी ने कभी भी खरगोश को परेशान करने की कोशिश नहीं की और दोनों ने मिलकर जंगल में खुशी-खुशी रहना शुरू कर दिया।
सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपनी बुद्धि का उपयोग करके समाधान ढूंढ़ना चाहिए।
सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपनी बुद्धि का उपयोग करके समाधान ढूंढ़ना चाहिए।