चतुर भेड़िये की कहानी : एक घने जंगल में एक चालाक भेड़िया रहता था। वह बहुत समझदार था और मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों से भी अपनी बुद्धिमानी से बाहर निकल आता था।
शेर और चतुर भेड़िया
एक दिन जंगल का शेर बीमार पड़ गया। वह बहुत कमज़ोर हो गया था और शिकार करने की ताकत उसमें नहीं बची थी। उसने सोचा, “अगर मैं खुद शिकार नहीं कर सकता, तो किसी और से शिकार करवाकर खा सकता हूँ!”
शेर ने जंगल के सभी जानवरों में यह खबर फैला दी कि वह बीमार है और उससे मिलने आने वाले हर जानवर को इनाम मिलेगा। भोले-भाले जानवर एक-एक करके शेर की गुफा में जाने लगे, लेकिन कोई भी वापस नहीं आया, क्योंकि शेर उन सबको खा जाता था।
भेड़िये की चतुराई
चतुर भेड़िये को इस चाल पर शक हुआ। उसने शेर की गुफा के पास जाकर ध्यान से ज़मीन को देखा। उसने पाया कि सभी जानवरों के पैरों के निशान गुफा के अंदर की ओर जा रहे थे, लेकिन बाहर आने के कोई निशान नहीं थे!
भेड़िया समझ गया कि यह शेर की चाल है। वह दूर से ही शेर से बोला, “महाराज, मैं आपका हाल-चाल जानने आया था, लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा है। मैं देख रहा हूँ कि जो भी आपकी गुफा में गया, वह वापस नहीं आया।”
शेर ने मीठी आवाज़ में कहा, “अरे नहीं, मैं बहुत बीमार हूँ। तुम अंदर आओ और मुझसे मिलो।”
भेड़िये ने हँसते हुए जवाब दिया, “मुझे आपकी सेहत की चिंता है, महाराज! लेकिन आपकी गुफा में जाने की मेरी हिम्मत नहीं। मैं बाहर से ही आपको शुभकामनाएँ देता हूँ!”
इतना कहकर चतुर भेड़िया तेज़ी से वहाँ से भाग गया। इस तरह अपनी चतुराई से वह शेर की चाल में फँसने से बच गया।