तेनालीराम का कंजूस दोस्त

तेनालीराम का कंजूस दोस्त

Tenaliram’s stingy friend


Tenaliram’s stingy friend : तेनालीराम का कंजूस दोस्त अपनी चतुराई और हाज़िरजवाबी के लिए मशहूर थे। एक दिन उनकी मुलाकात अपने पुराने दोस्त रामू से हुई। बातें करते हुए रामू ने कहा
“तेनाली बहुत दिनों बाद मिले हो। कल मेरे घर खाने पर आना!”
तेनाली ने खुशी खुशी निमंत्रण स्वीकार कर लिया अगले दिन जब वे रामू के घर पहुंचे तो उन्हें बड़ी उम्मीद थी कि अच्छा खाना मिलेगा लेकिन रामू ने खाने में सिर्फ सूखी रोटी और थोड़ा सा नमक परोसा तेनाली समझ गए कि उनका दोस्त बहुत कंजूस है उन्होंने उसे सबक सिखाने का फैसला किया।
अगले दिन तेनाली ने रामू को अपने घर खाने पर बुलाया। रामू उत्साहित होकर समय से पहले ही पहुंच गया तेनाली ने बड़ी गर्मजोशी से उसका स्वागत किया और खाने की बात की
“रामू आज तुम्हारे लिए खास पकवान बनाए हैं।” तेनाली ने कहा और खाने की थाली परोसी।
लेकिन जैसे ही रामू ने देखा थाली में कुछ नहीं था
“यह क्या तेनाली? थाली खाली है!” रामू ने हैरानी से पूछा।
तेनाली मुस्कुराते हुए बोले
“अरे, इसमें स्वादिष्ट ‘शब्दों की बिरयानी’, ‘कथाओं का कोरमा’ और ‘मजेदार पकवान’ हैं। जब तुम अपने घर सूखी रोटी और नमक से मेहमान नवाज़ी कर सकते हो, तो मैं शब्दों से क्यों नहीं?”
रामू को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने वादा किया कि अब वह मेहमानों की खातिरदारी खुले दिल से करेगा।
सीख:
कंजूसी कभी खुशी नहीं देती। दिल खोलकर किया गया स्वागत सबका दिल जीत लेता है।

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