Dina tea seller: दिना चाय वाला ईमानदारी और मेहनत की मिसाल
किसी छोटे से गाँव में दीनानाथ जिसे लोग प्यार से दिना कहते थे एक छोटी सी चाय की दुकान चलाता था उसकी दुकान कोई बड़ी या आलीशान नहीं थी बस एक पुराना लकड़ी का ठेला कुछ मिट्टी के कुल्हड़ और एक चूल्हा। लेकिन उसकी चाय की खुशबू पूरे गाँव में फैल जाती थी।
गरीबी में भी ईमानदारी
दिना बहुत गरीब था लेकिन ईमानदारी उसकी सबसे बड़ी पूंजी थी। वह हमेशा तौल में सही चाय देता कभी दूध में पानी नहीं मिलाता और ग्राहकों से हँसकर बातें करता। यही वजह थी कि लोग उसकी चाय पीने के बहाने भी उसके पास बैठना पसंद करते थे।
एक दिन किस्मत बदली
एक दिन एक अमीर व्यापारी उसके ठेले पर आया और चाय पीने लगा। चाय पीते ही उसने तारीफ की वाह इतनी स्वादिष्ट चाय मैंने पहले कभी नहीं पी। तुम तो किसी बड़े होटल में काम करने के लायक हो
दिना मुस्कुराया और बोला साहब मेरे लिए यही होटल है, और मेरे ग्राहक ही राजा हैं
व्यापारी उसकी सादगी से बहुत प्रभावित हुआ। जाते-जाते उसने गलती से अपना चमड़े का बैग दुकान पर छोड़ दिया जिसमें बहुत सारे पैसे थे। दीनानाथ को जैसे ही बैग मिला उसने तुरंत गाँव के चौकीदार को बुलाया और व्यापारी को ढूंढने चला गया।
जब व्यापारी को बैग वापस मिला तो वह बहुत खुश हुआ। उसने इनाम के तौर पर दीनानाथ को कुछ पैसे देने चाहे लेकिन दिना ने मुस्कुराते हुए कहा साहब ईमानदारी का कोई दाम नहीं होता
ईमानदारी का इनाम
व्यापारी बहुत प्रभावित हुआ। कुछ दिनों बाद उसने दीनानाथ को अपने होटल में नौकरी का ऑफर दिया। लेकिन दिना ने कहा मैं अपने ठेले को नहीं छोड़ सकता लेकिन अगर आप मेरी मदद करना चाहते हैं तो मुझे एक छोटी सी पक्की दुकान दिलवा दीजिए
व्यापारी ने दीनानाथ की ईमानदारी की कद्र करते हुए उसे एक छोटी सी चाय की दुकान बनवा दी। अब दीनानाथ की चाय की खुशबू और दूर तक जाने लगी और उसका नाम पूरे इलाके में प्रसिद्ध हो गया।
कहानी से सीख
ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है।
छोटी शुरुआत भी बड़ी सफलता में बदल सकती है, अगर मेहनत और लगन हो।