गाय और किसान की दोस्ती

गाय और किसान की दोस्ती

friendship between cow and farmer


एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था मोहन बहुत ही मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था उसके पास एक गाय थी जिसका नाम गौरी था गौरी एक सफेद रंग की सुंदर और दूध देने वाली गाय थी मोहन और गौरी के बीच एक अनूठी दोस्ती थी
मोहन हर रोज़ सुबह उठकर गौरी को चराने के लिए खेतों में ले जाता और गौरी भी मोहन का हर आदेश मानती थी दोनों एक-दूसरे की भावनाओं को भली-भांति समझते थे मोहन गौरी का अच्छे से ध्यान रखता और गौरी भी उसे भरपूर दूध देती थी
एक दिन गाँव में एक भयंकर सूखा पड़ा खेतों में पानी की कमी हो गई और फसलें सूखने लगीं मोहन बहुत परेशान हो गया क्योंकि उसके पास बहुत कम साधन बचे थे उसने सोचा कि अब वह कैसे अपने परिवार और गौरी का पेट भर सकेगा
एक दिन मोहन ने गौरी के कान में कहा, “गौरी, अब हम दोनों के लिए मुश्किल समय आ गया है मुझे नहीं पता कि हम कैसे इस समस्या का सामना करेंगे लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूँ”
गौरी ने भी अपनी आँखों में आँसू लाकर मोहन को सहारा देने की कोशिश की। मोहन ने अपने खेत में कुछ बची हुई फसलें और चारे को इकठ्ठा किया और गौरी को खिलाने लगा उसने अपना भोजन भी गौरी के साथ बाँट लिया ताकि वह भूखी न रहे
गौरी ने भी मोहन की मेहनत को देखा और उसे हिम्मत दी एक दिन गांव के सरपंच ने एक सभा बुलाई और गांववालों से कहा कि हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए सभी गाँववाले अपने पास की थोड़ी-थोड़ी फसल और चारा इकठ्ठा करके जरूरतमंदों को देने लगे मोहन और गौरी को भी इसका लाभ मिला
सूखा खत्म होने के बाद, बारिश हुई और खेतों में फिर से हरियाली लौट आई। मोहन और गौरी की दोस्ती और भी मजबूत हो गई उन्होंने एक साथ मिलकर नई फसलों की खेती की और गाँव वालों के साथ मिलकर खुशहाली से रहने लगे
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची दोस्ती और साथ देने से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है। मोहन और गौरी की दोस्ती ने यह साबित कर दिया कि जब इंसान और जानवर एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो वे किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।
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