एक बार की बात है, दो मित्र थे – रोहित और मोहन। दोनों बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त थे और एक-दूसरे की हर स्थिति में मदद करते थे। रोहित और मोहन एक ही गाँव में रहते थे और साथ में स्कूल जाते थे। उनकी दोस्ती की मिसाल पूरे गाँव में दी जाती थी।
एक दिन, गाँव में एक बड़ी समस्या आ गई। गाँव के सभी लोग बहुत परेशान थे क्योंकि अचानक ही बारिश ने बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर दी थी। गाँव में खाने-पीने की चीज़ों की कमी हो गई और लोग घरों में फंसे हुए थे।
रोहित और मोहन ने सोचा कि उन्हें गाँव के लोगों की मदद करनी चाहिए। वे दोनों मिलकर गाँव के बाहर की ओर निकल पड़े ताकि खाने-पीने की चीज़ें ला सकें। लेकिन रास्ते में उन्हें एक गहरी नदी को पार करना पड़ा, जो बाढ़ के कारण और भी खतरनाक हो गई थी।
रोहित और मोहन ने तय किया कि वे नदी को पार करेंगे और गाँववालों के लिए मदद लाएंगे। जब वे नदी पार कर रहे थे, तो अचानक ही एक तेज़ बहाव आया और रोहित पानी में गिर गया। मोहन ने तुरंत ही बिना सोचे-समझे अपने दोस्त की मदद के लिए नदी में छलांग लगा दी और बड़ी मुश्किल से रोहित को बचाया।
दोनों मित्र नदी पार करके दूसरी ओर पहुंचे और वहाँ से खाने-पीने की चीज़ें इकट्ठा कीं। फिर वे वापस गाँव लौटे और सभी लोगों को मदद पहुंचाई। गाँव के लोगों ने रोहित और मोहन की बहादुरी और दोस्ती की बहुत प्रशंसा की।
इस घटना ने साबित कर दिया कि सच्चा दोस्त वही होता है जो हर मुश्किल घड़ी में आपके साथ खड़ा रहता है, बिना किसी स्वार्थ के।
रोहित और मोहन की यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे दोस्त की पहचान उसके कामों और उसकी वफादारी से होती है।
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