शेर और शेरनी के बच्चों की कहानी

शेर और शेरनी के बच्चों की कहानी

Story of Lion And Lioness Children


Story of Lion And Lioness Children : शेर और शेरनी के बच्चों की कहानी एक समय की बात है जंगल के एक हिस्से में शेर और शेरनी अपने बच्चों के साथ रहते थे शेर का नाम था सिंह और शेरनी का नाम थी रानी उनके पास दो नन्हे शावक थे जिनका नाम था बालू और मीतू। बालू और मीतू बहुत ही चंचल और खेलकूद में मशगूल रहते थे।शेर सिंह और शेरनी रानी अपने बच्चों को जंगल के कानून और जीवन जीने के तरीकों के बारे में सिखाते रहते थे। एक दिन सिंह और रानी ने सोचा कि अब समय आ गया है कि बालू और मीतू को स्वतंत्रता से जंगल में शिकार करने का मौका दिया जाए उन्होंने दोनों बच्चों को जंगल के सुरक्षित हिस्से में ले जाकर कहा अब तुम दोनों को अपने पंख फैलाने का समय आ गया है यहाँ परिपक्व होकर शिकार करना सीखो बालू और मीतू ने शिकार के महत्व को समझा और अपनी पहली परीक्षा के लिए उत्साहित हुए। उन्होंने छोटे छोटे जानवरों का पीछा करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे शिकार करने का अभ्यास किया लेकिन जंगल में हर चीज हमेशा योजना के अनुसार नहीं होती है एक दिन बालू और मीतू शिकार के दौरान रास्ता भटक गए और एक खतरनाक इलाके में पहुंच गए इस इलाके में एक बड़ा और डरावना भालू रहता था जिसने बच्चों को देखते ही उन पर हमला कर दिया। बालू और मीतू ने जितना हो सके भागने की कोशिश की लेकिन भालू के डर से उनका साहस टूटने लगा। इसी दौरान शेर सिंह और शेरनी रानी ने बच्चों की चीखें सुनीं और फौरन उनकी मदद के लिए दौड़े। सिंह और रानी ने अपनी पूरी ताकत और शौर्य के साथ भालू से मुकाबला किया और अंत में उसे भागने पर मजबूर कर दिया। बच्चों को बचाने के बाद सिंह और रानी ने उन्हें समझाया कि जंगल में हमेशा सतर्क रहना चाहिए और शिकार के दौरान धैर्य और सूझबूझ का पालन करना चाहिए। बालू और मीतू ने अपनी गलती से बहुत कुछ सीखा और उन्होंने अपने माता पिता के सुझावों को मानते हुए शिकार में माहिर हो गए। उन्होंने समझा कि जंगल का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है लेकिन सही सीख और धैर्य से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में धैर्य, सतर्कता और सही सीख का बहुत महत्व होता है।

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