बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव के किनारे एक बहुत बड़ा और घना जंगल था। गाँव के लोग दिन के समय जंगल में जाते, लेकिन रात के समय उस जंगल के पास जाने से डरते थे। ऐसा कहा जाता था कि जंगल के बीचोंबीच एक भूतिया पेड़ है, जो रात में जीवित हो जाता है।
गाँव के बच्चे अक्सर इस भूतिया पेड़ की कहानियाँ सुनते और डर जाते थे। लेकिन उनमें से एक लड़का, जिसका नाम मोहन था, बहुत साहसी था। उसे भूतिया कहानियों पर विश्वास नहीं था। एक दिन, उसके दोस्तों ने उसे चुनौती दी कि क्या वह उस भूतिया पेड़ के पास रात में जा सकता है।
मोहन ने चुनौती स्वीकार कर ली और एक रात, बिना किसी को बताए, वह जंगल की ओर चल पड़ा। चाँदनी रात थी, और चारों ओर सन्नाटा था। जैसे-जैसे वह जंगल के अंदर बढ़ता गया, हवा तेज़ हो गई और पेड़ों की पत्तियाँ अजीब-अजीब आवाज़ करने लगीं।
कुछ देर चलने के बाद, मोहन उस भूतिया पेड़ के पास पहुँच गया। पेड़ बहुत बड़ा था, उसकी टहनियाँ आकाश की ओर फैली हुई थीं और पत्तियाँ सूखी और काली थीं। अचानक, पेड़ की एक टहनी हिलने लगी और एक भयानक आवाज़ आई, “तू यहाँ क्या कर रहा है, छोटे लड़के?”
मोहन ने हिम्मत करके उत्तर दिया, “मैं यहाँ यह देखने आया हूँ कि तुम सच में भूतिया हो या नहीं।”
पेड़ ने जोर से हँसते हुए कहा, “मैं एक साधारण पेड़ हूँ, लेकिन लोगों की कहानियों ने मुझे भूत बना दिया है। वे मुझे डरावना समझते हैं, इसलिए मैं उन्हें डराने लगा। परंतु तुम साहसी हो, और मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।”
यह सुनकर मोहन को बहुत अचरज हुआ। उसने पेड़ से पूछा, “तो तुम सच में किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते?”
पेड़ ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता। मैं तो सिर्फ लोगों के डर का प्रतीक बन गया हूँ। अगर लोग मुझसे डरना बंद कर दें, तो मैं भी सामान्य पेड़ की तरह हो जाऊँगा।”
मोहन ने गाँव लौटकर यह बात सबको बताई। पहले तो लोग उस पर विश्वास नहीं कर पाए, लेकिन धीरे-धीरे सबने समझा कि डर केवल हमारे मन की कल्पना है। उस दिन के बाद से, कोई भी उस पेड़ से नहीं डरता था, और वह पेड़ भी सामान्य हो गया।
सीख: डर केवल हमारे मन का एक भ्रम है। जब हम अपने डर का सामना करते हैं, तो वह गायब हो जाता है। हमें हमेशा हिम्मत और साहस से हर स्थिति का सामना करना चाहिए।